भारत से सम्बन्धित कुछ रोचक तथ्य एक जर्मन पत्रिका में प्रकाशित हुए थे जिन्हें अंग्रेजी साप्ताहिक ‘ऑर्गनाइजर’ ने मई २००७ में रिपोर्ट किया था। हाल ही में मेरी निगाह इनपर पड़ी तो आपके लिए इसका हिन्दी अनुवाद कर लाया हूँ। आशा है आपको रुचिकर लगेगा।
१.भारत ने अपने १०००० वर्ष के इतिहास में किसी भी देश पर कभी आक्रमण नहीं किया।
२.अंक पद्धति का आविष्कार भारत ने किया। शून्य की खोज भारतीय वैज्ञानिक और गणितज्ञ आर्यभट्ट ने किया।
३.संसार का पहला विश्वविद्यालय तक्षशिला में स्थापित किया गया था। पूरी दुनिया से १०५०० से भी अधिक छात्र साठ से अधिक अलग-अलग विषयों की शिक्षा ग्रहण करते थे। ईसा पूर्व चौथी शताब्दि में स्थापित नालन्दा विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में प्राचीन भारत की महानतम उपलब्धियों में से एक था।
४.संस्कृत सभी यूरोपीय भाषाओं की जननी है। फोर्ब्स पत्रिका ने जुलाई १९८७ की अपनी एक रिपोर्ट में इसे कम्प्यूटर सॉफ़्टवेयर के लिए सबसे उपयुक्त भाषा करार दिया था।
५.मनुष्य जगत को ज्ञात सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद है। औषधि शास्त्र के जनक चरक ने २५०० वर्ष पूर्व आयुर्वेद का संग्रह ग्रन्थ तैयार कर दिया था। मानव सभ्यता के वर्तमान सोपान पर आयुर्वेद अपने महत्व की दृष्टि से उपयुक्त प्रतिष्ठा प्राप्त कर रहा है।
६.आज के भारत की तस्वीर भले ही एक गरीब और अविकसित देश की बन गयी हो, लेकिन सत्रहवीं सदी में अंग्रेजों के पदार्पण होने से पूर्व भारत दुनिया का सबसे समृद्ध देश हुआ करता था। क्रिस्टोफ़र कोलम्बस भारत की धन-सम्पदा पर ही आकर्षित हुआ था।
७.नौकायन की कला का जन्म ६००० वर्ष पूर्व सिन्धु नदी में हुआ था। अंग्रेजी शब्द navigation की उत्पत्ति संस्कृत के नवगति: शब्द से हुई है। संस्कृत की ‘नौ’ धातु से ही navy का उद्भव हुआ है।
८.खगोलशास्त्री स्मार्ट से सैकड़ो वर्ष पूर्व भास्कराचार्य ने पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा करने के समय की शुद्ध गणना कर डाली थी। पाँचवी शताब्दि में इसका मान ३६५.२५८७५६४८४ दिन निर्धारित कर दिया गया था।
९.‘पाई’ का मान सर्वप्रथम बोधायन द्वारा आगणित किया गया था। उन्होंने ही सर्वप्रथम उस सिद्धान्त की व्याख्या भी की थी जिसे हम पाइथागोरस प्रमेय के रूप में जानते हैं। उस यूरोपीय गणितज्ञ से बहुत पहले इन्होंने इसकी खोज छठी शताब्दि में कर लिया था। बीजगणित, त्रिकोणमिति और कलन जैसी गणितीय पद्धतियों का उद्भव भारत में हुआ। श्रीधराचार्य ने ग्यारहवीं शताब्दि में द्विघातीय समीकरणों का प्रतिपादन किया। ग्रीक और रोमन लोगों द्वारा जो सबसे बड़ी संख्या प्रयुक्त हुई वह १०६ थी जबकि भारतीयों ने १०५३ जैसी बड़ी संख्या का प्रयोग पाँच हजार साल पहले वैदिक युग में विशिष्ट नामों के साथ किया था। अभी वर्तमान समय में भी सबसे बड़ी संख्या जो प्रयोग में लायी जाती है वह टेरा है जिसका मान १०१२ है।
१०.अमेरिकी रत्नविज्ञान संस्थान (Gemologi-cal Institute of America) के अनुसार १८९६ ई. तक दुनिया में हीरे का एक मात्र श्रोत भारत ही था।
११.दुनिया भर के वैज्ञानिक समाज में सौ साल से चली आ रही गलतफ़हमी को दूर करते हुए अमेरिकी संस्था IEEE ने यह सिद्ध कर दिया है कि बेतार के संचार का आविष्कार प्रोफ़ेसर जगदीश चन्द्र बोस ने किया था न कि मारकोनी ने।
१२.सिंचाई के उद्देश्य से निर्मित सबसे प्राचीन जलाशय और बाँध का निर्माण सौराष्ट्र में हुआ था। ईसा से १५० वर्ष पूर्व के शक राजा रुद्रदमन के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य के समय में रैवटका की पहाड़ियों पर सुदर्शन नाम से एक अत्यन्त सुन्दर झील का निर्माण किया गया था।
१३.शतरंज या अष्टपद का अविष्कार भारत में हुआ था।
१४.सुश्रुत शल्यचिकित्सा के जनक थे। करीब छब्बीस सौ साल पहले उन्होंने और उनके साथी शल्य चिकित्सकों ने अनेक जटिल शल्यक्रियाएं सफलता पूर्वक पूरी की जिनमें शल्यप्रसव, रतौंधी, कृत्रिम अंग प्रत्यारोपरण, हड्डियों का फ्रैक्चर, मूत्रनलिका सम्बन्धी दोष और यहाँ तक की प्लास्टिक सर्जरी और मस्तिष्क की शल्य चिकित्सा भी शामिल है। प्राचीन भारत में बेहोशी की दवा के प्रयोग की भलीभाँति जानकारी थी। शल्य क्रिया से सम्बन्धित लगभग १२५ से अधिक प्रकार के औंजार प्रयोग में लाये जाते थे। शारीरिक गठन (anatomy), शरीर विज्ञान (physiology) रोगनिदान विज्ञान, भ्रूण विज्ञान, पाचन तंत्र, उपापचय, अनुवांशिकी, रोग प्रतिरोधकता सम्बन्धी चिकित्सकीय जानकारी विभिन्न प्राचीन ग्रन्थों में पायी जाती है।
१५.लगभग पाँच हजार साल पूर्व जब बहुत सी संस्कृतियाँ घुमन्तू प्रकृति की थीं या जंगलों में निवास करती थी तब भारतीयों ने सिन्धु घाटी में हड़प्पा सभ्यता की स्थापना की थी। ईसा पूर्व १००वें वर्ष में दशमलव पद्धति और स्थानीय मान की अवधारणा का विकास किया जा चुका था।
श्रोत: ऑर्गनाइजर
भारत की उपलब्धियों के कारण ही इसकी प्रशंसा अनेक नामी-गिरामी विदेशी हस्तियों द्वारा की गयी है:
अलबर्ट आइन्स्टीन ने कहा था- “हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होंने हमें गिनना सिखाया और जिसके बिना कोई भी सार्थक वैज्ञानिक खोज सम्भव नहीं हो पाती।”
मार्क ट्वेन ने कहा था- “भारतभूमि मानव जाति की उद्गम स्थली है, मनुष्य की वाणी की जन्मस्थली है, इतिहास की जननी है और गाथाओं की महाजननी है और परम्पराओं की अधिष्ठात्री है। हमारी सबसे मूल्यवान और मानव इतिहास की सबसे ज्ञानदायी विषयवस्तु का खजाना केवल भारत में ही निहित है।”
हू शिः, अमेरिका में चीन के पूर्व राजदूत ने कहा था- “बीस शताब्दियों तक भारत ने सीमा पार एक भी सैनिक भेंजे बिना सांस्कृतिक रूप से चीन के ऊपर विजय प्राप्त कर अपनी श्रेष्ठता बनाये रखी।
फ्रान्सिसी विद्वान रोमाँ रोलाँ ने कहा था- “सबसे प्रारम्भिक काल में जब मनुष्य ने अस्तित्व का सपना देखना प्रारम्भ किया था तबसे यदि पृथ्वी के पटल पर कोई एक ऐसा स्थान है जहाँ सभी सपनों को एक ठिकाना मिला हो तो वह स्थान भारत ही है।”
(मलय)